Description
असामान्य यौनप्रवृत्ति कोई आधुनिक या पश्चिमी बात नहीं है। दो हज़ार वर्षों से भी पुरानी हिन्दुत्व की विशाल मौखिक और लिखित परम्पराओं में असामान्य यौनप्रवृत्ति की कई कथाएँ और उदाहरण पाए जाते हैं, जैसे महाभारत में शिखण्डी जो अपनी पत्नी को सन्तुष्ट करने के लिए पुरुष बना; या फिर महादेव जो इसलिए स्त्री बने ताकि अपने भक्त के बच्चे को जन्म दे सकें; या चूडाला जो अपने पति को ज्ञान देने के लिए पुरुष बनी-ये और ऐसी अनेक कथाएँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं। दिलचस्प और हृदयस्पर्शी, यहाँ तक कि उद्विग्नता पैदा करने वाली, ये कथाएँ इस बात की साक्षी हैं कि हमारे देश में असामान्य यौनप्रवृत्ति की कितनी पुरानी परम्परा है।
Patriarchy asserts men are superior to women; Feminism clarifies women and men are equal. Queerness questions what constitutes male and female. Queerness isn’t only modern, Western or sexual, says mythologist Devdutt Pattanaik. Take a close look at the vast written and oral traditions in Hinduism, some over two thousand years old and you will find many overlooked tales, such as those of Shikhandi, who became a man to satisfy her wife; Mahadeva, who became a woman to deliver his devotee’s child; Chudala, who became a man to enlighten her husband; Samavan, who became the wife of his male friend; and many more. Playful and touching and sometimes disturbing-these stories, compared with their Mesopotamian, Greek, Chinese and Biblical counterparts, reveal the unique Indian way of making sense of queerness.